चिदंबरम का सरकार पर कटाक्ष : “हम कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बन गए”

पूर्व वित्त मंत्री ने दावा किया, “नोटबंदी के समय चलन में कुल नकदी 18 लाख करोड़ रुपये थी और अब यह बढ़कर 28.5 लाख करोड़ रुपये हो चुकी है. उच्च बेरोजगारी दर एवं मुद्रास्फीति की मार, गरीब एवं मध्यवर्ग कम नकद कमाते हैं और कम खर्च करते हैं. हम वाकई कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बन गये है. थ्री चीयर्स.”

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नोटबंदी के पांच साल बाद चलन में नोट धीरे धीरे लेकिन बढ़ते रहे. हालांकि डिजिटल भुगतान में भी वृद्धि हुई और अधिकाधिक लोग बेनकदी भुगतान तरीके को अपना रहे हैं. मुख्य रूप से पिछले वित्त वर्ष में नोट चलन में बढ़े क्योंकि कई लोगों ने कोविड-19 महामारी के बीच एहतियात के तौर पर नकद को रख लिया. इस महामारी ने सामान्य जनजीवन एवं आर्थिक गतिविधियों पर असर डाला.

चिदम्बरम ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने पेट्रोल एवं डीजल पर संग्रहित करों पर कुछ आंकड़ों का खुलासा किया है और यदि वे तोड़-मरोड़ कर पेश किये गये हैं तो केंद्रीय वित्त मंत्री को इस पर अपनी बात रखनी चाहिए.”

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उन्होंने कहा, “आंकड़ों से खुलासा हुआ कि 2020-21 में उत्पाद शुल्क के तौर पर 3,72,000 करोड़ रूपये का संग्रहण हुआ. उसमें से बस 18,000 करोड़ रूपये ही मूल उत्पाद शुल्क के रूप में वसूले गये तथा 41 फीसद राज्यों के साथ साझा किये गये. बाकी 3,54,000 करोड़ रूपये केंद्र के पास गये. यह मोदी सरकार का ‘सहयोग-परक संघवाद’ नमूना है.”

कांग्रेस नेता ने सवाल किया, “इसके अलावा 3,54,000 करोड़ रूपये की विशाल धनराशि कैसे और कहां खर्च की गयी. एक हिस्सा कोरपोरेट कर घटाने से पैदा हुए छेद को भरने तथा कोरपोरेट को 14,5000 करोड़ रूपये की सौगात देने के लिए किया गया.”

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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